जानती हो..
कभी कभी सोचता हूँ कि तुमसे हर वो बात पूछूँ,कुछ साल पहले जैसा बेवकूफ हो जाऊं,तुमको परेशान करूँ और खुद भी परेशान हो जाऊं..
तुम ठहरी मृगनयनी सी ,हम चमगादड़ जैसे हैं
तुम हो टॉपर अपने जिले की,हम स्टेटस पे ही अटके हैं,
लफ्ज़ भी कठिन हो रहे हैं,और जज़्बात हमारे गणित हो रहे,
अब वक्त इजाजत नही देता और हालात भी कोरोना के हैं।
©रक्तबीज
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