मनमोहक रूप है तेरा,
चाँदनी सी शीतल है तू ।
मेरा हाथ थामे चल हमसफर,
बस इतनी सी ख्वाहिश है तू।
तू स्वप्न सी है कभी ,
कभी हकीकत है तू।
कुछ अजनबियों सी,
तो कुछ अपनी सी है तू।
थोड़ा गुस्सैल चिड़चिड़ी सी,
तो कभी मनमोहिनी सी खूबसूरत है तू।
चाँद सा रूप,कोकिला सी मधुर है तू।
पायल की झंकार सी तेरी बोली।
सरिता सी मृदुल है तू,
कभी परियों की कहानियों की नायिका,
तो कभी यादों की पतंग की डोर है तू।
मनमोहक सा रूप है तेरा,
चाँदनी सी शीतल है तू।
© प्रीति
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