मैंने अपने आप को हर दर्द दिया है
रास्तों में कांटे और मौसम सर्द दिया है
गाड़ी से उतर कर, पैदल चला हूं मैं
छांव को छोड़ कर, सूरज से जला हूं मैं
हर गलती की कड़वी दवा पी है मैंने
उम्मीदों को थोड़ी हवा दी है मैने
भटकाते हर मार्ग को मैंने है छोड़ा
हर झूठे स्वप्न को मैंने है तोड़ा
किसी को बुला लो, दो दो हाथ कर लो
अब तैयार हूं मैं, ये ऐलान कर दो
© सत्यम
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