आज उसकी गली से गुजरते हुए
उस गली के नुक्कड़ से मुड़ते हुए
उन रास्तों पर अकेला ही चल रहा होता हूँ
लेकिन ऐसा लगता है वो साथ चल रही है
हर वक़्त इस भ्रम में डूबा चल रहा होता हूँ
कि शायद उसकी आवाज़ मुझे बुला रही है
अपनी रफ्तार से थोड़ा तेज़ चल रहा होता हूँ
जैसे वो बहुत देर से मेरा इंतजार कर रही है
और कभी कभी बहुत धीमे चल रहा होता हूँ
जब लगता है कि वो मुझे ही याद कर रही है
लेकिन दिल मे कोई ख्वाब नही संजोया है
आज उसकी गली से गुजरते हुए
बस हमेशा की तरह उसकी याद आ गयी
आज उसकी गली से गुजरते हुए
© रक्तफूल
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